Jaane Kahaa ??? The Revolution
अपडेट-1
आज उसे नींद नही आ रही थी। वो करवटे बदल रहा
था। आज उसकी जैल की आखरी रात थी। कल का सूरज उसके लिए मुक्ति का सूर्योदय लेके आनेवाला
था। उसकी आँखे चारो ओर घूमी और मन ही मन मे आसपास का खोली का निरीक्षण किया। उसने महसूस
किया उसके अलावा सब खर्राटे भर रहे है। मानो किसिको किसीकि पड़ी ही नही। बास्केट मे
पड़े हुवे सडे फल की तरह एक एक कोटरी में को बहुत सारे कैदियों को रखा हुवा था। वो अकेला ही था अपनी अकेली
कोटरी के साथ। वो अकेला था जिसकी आँखो से आज कई साल के बाद नींद गायब थी। उसे याद आये
जैल यात्रा के पहले पाँच साल। उसने शुरुआत के सालो मे बहुत यातना सही थी। बहुत मार
खाई थी, गलिया सुनी थी, लाते खाई थी। थर्ड
डिग्री का भी प्रयोग उस पर किया गया था। लेकिन जिगर था ना, सही मे उसकी 36 की
छाती थी जो उसे सबकुछ सहन करने पर मुस्ताक़ थी। पहले तो उसको सब क़ैदी के साथ रखा गया
ता। रात, रात भर अलग अलग क़ैदी
के खर्राटे की आवाज़े, पसीने की गंध, कोई कोई तो वही कोने पे दीवार पर पेशाब कर देता था, वो सहन ना होने वाली
बदबू, मैली चादर, मैली चट्टई। पहले
7 दिन उसे नींद नही आई थी। तब तो उस पर थर्ड डिग्री का प्रयोग भी शुरू नही हुवा था।
लेकिन माहॉल नया था और वो भी अलग समाज, अलग आदमी, अलग अंदाज़।
लेकिन 7 दिन बाद वो थका भी और उसकी 6th सेन्स ने जवाब दे दिया था की यहा वो लंबी यात्रा करनेवाला है
तभी थकान से, मजबूरी से, भरपूर नींद मे डूब गया था। धीरे धीरे उसे आदत हो चली थी क़ैदी ओ की, गंध की, बदबू की, खर्राटे की…।।
अचानक उसके सामने कई सालो के बाद फिर से अंधेरा
छा गया। जैसे चक्कर से आने लगे। वो सिर दोनो हथेली से कस के दबाकर अपने दोनो पैर के
घुटॅनो के बीच सिर ले गया याने सिकुड़ गया। थोड़ी देर यू ही पड़ा रहा, तभी धीरे धीरे उसकी
आँखो के सामने गहरा अन्धेरा छ गया और फिर सूर्योदय सा प्रकाश होने लगा और एक संत महात्मा दिखाई दिए, और थोड़ी देर के बाद
एक औरत की छाती दिखाई दी…। और फिर सबकुछ ठीक हो गया। खुली आँख से ही ये नज़ारा वो हमेशा देखता था लेकिन अंत
मे मानो जैसे नींद से उसकी आँख खुल रही हो ऐसा एहसास होता था।
ये उसके साथ पहलीबार नही हुवा था। अक्सर हुवा
करता था। लेकिन आज करीब 5 साल के बाद फिर उसके साथ ऐसा हुवा था। करीब बचपन से उसके
साथ ये हुवा करता था।
aur
1। पहले आँखो के सामने गहरा अंधेरा छा जाता
था।
2। फिर एक स्त्री की छाती।
3। और अंत मे एक लंबे संत, साधु महात्मा दिखाते
थे, लंबे बाल, लंबी दाढ़ी , मुस्कुराता हुवा चेहरा।
उस औरत का न ही तो चेहरा दिखता
था न ही तो पेट से नीचे का हिस्सा। सिर्फ़ छाती दिखाई देती थी | वो भी कोई औरत सोई हुई
हो और उसकी छाती खड़ी हो ऐसी मुद्रा मे वो हरदम देखता था। बचपन मे
तो उसे खास पता नही चलता था।
वो खड़ा हुवा, चलकर दो कदम आगे आया, उसकी कोटरी मानो एक छोटा सा कॉटेज था। एक आम आदमी आराम रह सके ऐसी सुविधा उसे पिछले 5 सालो मे दी गयी थी। 20/22 फीट की चौडाई वाली खोली, एक पलंग, एकदम धूलि हुई और रोज बदलने वाली बिस्तर, चदर, ठंडा पानी, पंखा, एक बडी सी खीडकी जो ठीक अंदर के बगीचे मे खुलती थी ताकि ताजी हवा और बगीचे के फुलो खूश्बुदार हवा आती जाती रहे। अच्छा खाना उसे मिलता था। इसके अलावा आने जाने वाला हर कोई आदमी उसकी ज़रूरत पुछता था, लेकिन उसने कभी कुछ ख्वाहिश बताई ही नही।
क्यो की वो जनता था की सुविधा देनेवाला स्टाफ कही से पैसा ख़ाता था और कोई तो था उसका दोस्त या दुश्मन जो पैसे देकर उसे ये सुविधा पहुचा रहा था। उसके पहले 5 साल जिस यातना मे गुजरे थे उस से बिल्कुल उल्टा अखरी 5 सालो मे उसे VIP ट्रीटमेंट दी गयी थी। उसे कुछ अजीब तो लगा था लेकिन उसकी 6th सेन्स उसे आगाज़ कर रही थी की शायद उसके साथ यही होनेवाला था। जैसे सूर्यास्त के बाद सूर्योदय निश्चिन्त है। वैसे पहले 5 साल अंधेरे के बाद आखरी 5 साल सूर्योदय था और न जाने कल से फिर उसके साथ क्या होने वाला तय था।
उसने दो हाथो से खोली की सलाखे पकड़ी और चेह्ररा सलाखो के बीच सटाया और दाहिनी और नज़र घुमा के दीवार की घड़ी को देखा, अभी तो रात के 3 बजे थे। यानी की सुबह मे 3 घंटा बाकी थे। उसने चक्कर काटना शुरू किया, नींद आँखो से कोसो दूर थी। कल मुक्ति का दिन था या फिर कोई नयी कहानी शुरू होने वाली थी, ये वो नही जनता था। हा उसका मन ज़रूर कहता था की जिन्दगी मे आनेवाला समय यानी कल से शुरू होनेवाला समय कुछ समय के लिए काँटे की टक्कर होनेवाला था। शायद इसीलिए किसी ने उनको आखरी 5 साल VIP ट्रीटमेंट दिलाई थी। उसने कई बार जानने की कोशिश की थी की वो कौन है जो उस पर इतना मेहरबान हो रहा है। लेकिन कुछ जान नही पाया था। फिर उसने कोशिश छोड़ दी थी। आराम से वो ट्रीटमेंट सहता रहा और मुक्ति का इंतज़ार कर रहा था। कल करीबन 12 साल के बाद उसकी ज़िंदगी का सूर्योदय होना था।
…।जी हा अपनी ज़िंदगी, युवानी के 12 साल उसने यहा काटे थे, बिताए थे। जब जैल मे
उसको लाया गया था तब उसे पता था उसकी उम्र 22 साल की थी। बाद मे तो साल का, महीने का, तारीख का तो उसे पता
ही नही चलता था, लेकिन उसे 15 साल की जैल हुई थी। बाद मे गुड केरेक्टर की बदौलत उसकी सज़ा 3 साल
कम कर दी गयी थी। वैसे तो आजीवन कारावास ही सज़ा तय थी। लेकिन याद आई उसे निशी, जिसकी वजह से उसकी
सज़ा कम होकर 15 साल और बाद मे 12 साल की हो गयी।
उसे याद आई निशी, उनकी दोस्त, Bengali
tigress थी वो। पूरा नाम था निशी सेन, उसके पिताजी एक बड़े Advocate थे। निशी के कहने पर ही Advocate मि. सेन ने उसका केस
लड़ा था और सज़ा कम करवाई थी। उसे कई बार निशी याद आई थी की वोही है जो उनको vip ट्रीटमेंट दिला रही
थी। लेकिन फिर उसे लगता था की अगर देनी ही थी तो पहले से vip ट्रीटमेंट देती, आखरी पाँच सालो मे
ही क्यो ?
वैसे भी केस का फ़ैसला होने के बाद निशि कभी मिलने नही आई, उसे बात पता चली थी
की उसके पिताजी ने उसको मिलने से मना कर दिया था। वो ये बात समजाता भी था की एक अकेली
लड़की उसे मिलने आए वो ठीक भी नही। इसीलिए उसकी 6th सेन्स उसे ये मान ने पर मजबूर कर रही थी की वो निशी नही हो
सकती जो उसे VIP ट्रीटमेंट दिला रही थी।
उसके दूसरे दोस्त भी कोई मिलने नही आए क्यो
की कोई इस मिशन मे मारा गया था, कोई पागल हो गया था और कोई दगाबाज़ हो चला था।
उसकी आँखो मे खून उतर आया जब उसे साजन की
याद आई, उसके मूह से गली निकल
पड़ी, एक साजन के मामले मे
उसकी 6th सेन्स धोखा दे गयी
थी। उसे साजन को समजने मे सब से बड़ा धोखा खाया था। कोर्ट मे साजन ने रंग बदला था और
सब कुछ पलट गया था। उसकी जैलयत्रा का सूत्रधार ही साजन था। साजन ने उसे फसाया था। और
वो आबाद उसकी जाल मे फस गया था। फिर भी Advocate सेन ने मोस्ट ऑफ गुनाह उसके मरे हुवे दोस्तो
के नाम लगा दिए थे। ता की उसे कम से कम सज़ा हो। लेकिन फिर भी उसे लगता था के अगर साजन
चुप रहता तो शायद किसी को मुसीबत नही होती।
उसका गला सूखा, उसने पानी पिया और
गले की खर्राहट मिटाई, आँखो मे दो बूँद आँसू आए थे। वो फिर जा के बिस्तर पर लेट गया। थोड़ी देर मे उसे
नींद आने लगी। लेकिन आधे घंटे मे फिर उसकी आँखे खुल गयी। आज उसकी जैलयात्रा जिस वजह
से हुई थी वो पूरा कांड जैसे हिन्दी चित्रपट की तरह उसकी आँखो के सामने चल रहा था…।।
जैसे को हिन्दी फिल्म मे पहले titles आते है, उसी तरह उसे कॉलेज, कॉलेज कम्पाउंड, कॉलेज केन्टीन, क्रिकेट ग्राउंड, खुद की धुआधार बॅटिंग, कॉलेज का जितना, सचिन तेंदुलकर की बॅटिंग, इंडिया का जितना, समाज के लिए कुछ करने की तमन्ना, पॉलिटिक्स मे योगदान
देने की भूख, हिन्दुस्तान के लिए कुछ कर मिटने की चाह, एक एनर्जेटिक प्लान, रेवोल्यूशन की आग उठना, उनका मिलना जुलना, कुछ एटम बॉम्ब से भी ज़्यादा ख़तरनाक डॉक्युमेंट्स, स्वामी का आश्रम, आश्रम मे संगीत पे
ज़ुमते हुए जेंट्स एन्ड लॅडीस, स्वामी का पर्सनल कमरे मे ज़ूमती लड़किया, कपड़े उतारती लड़किया, निर्वस्त्र अवस्था
मे लड़किया, उनके सब दोस्तो का बारी बारी चेहरा, भागते हुवे लड़के लड़किया, पुलिस की गाड़ी, पीछा करती पुलिस, फिर पकड़े जाना, अपने दोस्त साजन को देना, वो चिठ्ठी, पुलिस कस्टडी, कोर्ट, केस का चलना, सरकारी वकील की दलीले, साजन का रंग बदलना, साजन की ज़ुबानी और उनका खेल समाप्त, थर्ड डिग्री का प्रयोग
और जेलर की गंदी गंदी गालिया, सख़्त मजूरी, और फिर आराम की कंफर्टेबल
जैलवास…। फिल्म आगे चलती ही
जा रही थी चलती ही जा रही थी और वो गहरी नींद की आगोश मे चला गया। उसे क्या पता था
कल से उसकी ज़िंदगी किस मोड़ पे गुजर ने वाली है………। जाने कहा ???.........
Zakirhusain Abbas Chougule
19-Apr-2022 11:07 AM
Nice
Reply
PHOENIX
19-Apr-2022 08:13 PM
Thank you
Reply
Gunjan Kamal
19-Apr-2022 12:24 AM
👏👏👌👌🙏🏻🙏🏻
Reply
PHOENIX
19-Apr-2022 09:27 AM
Thank you
Reply
PHOENIX
19-Apr-2022 09:40 AM
Thank you
Reply
The story
31-Jan-2022 01:09 AM
Achchi shuruat h kahani mi
Reply
PHOENIX
19-Feb-2022 04:05 PM
Thanks a lot and welcome to the Revolution.
Reply